एक रहस्यमई युद्ध – 43

एक रहस्यमई युद्ध 

Chapter – 43: आखिरी द्वंद

तांत्रिक सुरा, ने सेनापति और उसके रक्षक सैनिकों को रोक दिया था,

 

दूसरी तरफ, तहखाने के कक्ष में,

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देव के ,मंत्रों के प्रभाव से, अब चोटी में एक नई ऊर्जा महसूस होने लगी थी, और वह अब अलग ही प्रकाश से चमक उठी थी,

 

 

 

 

 

तांत्रिक नूरा ,”लगता है चोटी पूरी तरह से, अभिमंत्रित हो गई है ,अब हमें इसका प्रयोग कर लेना चाहिए,”

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देव ,”अभी इसका सही समय नहीं आया है, इस बार में कोई कसर नहीं छोड़ने वाला हूं,”, और फिर वह दोबारा से मंत्रों के उच्चारण में लग जाता है,

 

 

 

 

 

दूसरी तरफ,

 

 

 

 

 

सेनापति, भागता हुआ ,राजा के पास आ गया था,

 

 

 

राजा नरवीर ,”क्या हुआ, क्या तुम चोटी प्राप्त नहीं कर पाए,!!

 

 

 

 

 

सेनापति ,”उन्हें हमारे आने का पता लग गया ,और उन्होंने तांत्रिक हमला हम पर कर दिया, हम उससे नहीं निपट पाए महाराज, अब आप ही कुछ कीजिए,”

 

 

 

 

 

 

 

राजा नरवीर ,कुछ सोचता है और,” एक काम करो ,इतना शोर पैदा कर दो कि ,वे मंत्रों का उच्चारण ठीक ढंग से ना कर पाए, और उन्हें विवश होना पड़े उठने के लिए,”

 

 

 

 

 

 

 

सेनापति,” ठीक है महाराज “,और फिर कुछ पलों बाद, ढोल नगाड़े और महावत, हाथियों को लेकर ,आगे आ गए थे ,उसके बाद वहां, इतना तेज शोर पैदा कर दिया गया कि, लोगों को कानों पर हाथ रखने पड़ गए थे,

 

 

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा ,जो मंत्रों का उच्चारण कर रहा था, उसे भी यह तेज शोर-शराबा ,रुकावट पैदा कर रहा था, मंत्रों के उच्चारण में,

 

 

 

 

 

सुरा, का ध्यान भंग हो गया था ,और उसकी तांत्रिक तंत्र ऊर्जा का संपर्क , उन तलवारों में से टूट जाता है ,क्योंकि वह बाहर ही गलियारे में खड़ा था ,और जब तक वह फिर से मंत्र का उच्चारण करता ,और अपने दिमाग को संभालने की कोशिश करता ,बहुत से सैनिक तेजी से आगे भाग आए थे,

 

 

 

 

 

 

 

हवलदार गायब सिंह ,समझ जाता है कि ,सूरा का मरना तय है ,अगर उसने जल्दी से कुछ नहीं किया तो, और इसलिए वह तेजी से आगे बढ़ता है ,और सुरा का हाथ पकड़कर तहखाने में खींच ले जाता है ,और फिर उसका दरवाजा बंद कर देता है,

 

 

 

 

 

बाहर सैनिकों का ,जमवाड़ा दरवाजे पर लग गया था ,और वह उसे तोड़ने का प्रयास करने लगे थे,

 

 

 

 

 

हवलदार गायब सिंह,” अच्छा हुआ, मैं तुम्हें अंदर ले आया, वरना अभी तक तो, तुम्हारी गर्दन एक तरफ पड़ी होती,”

 

 

 

 

 

तांत्रिक सूरा ,ने अपने आप को संभाल लिया था, और वह अब फिर से मंत्रों का उच्चारण शुरू कर देता है ,और तहखाने का वह दरवाजा ,फौलाद में तब्दील होता चला जाता है,

 

 

 

 

 

सैनिक, उस पर जब भी प्रहार कर रहे थे, तो उन्हें अपने अंदर करंट लगने जैसा अनुभव हो रहा था ,और वे पीछे को जाकर, गिर रहे थे,

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देव ,और नूरा का , ध्यान तांत्रिक हवन में लग जाता है ,और वह फिर से मंत्रों के उच्चारण में लग जाते हैं,

 

 

 

 

 

दूसरी तरफ,

 

 

 

 

 

अमर, विजय और दरोगा, रक्षक सैनिकों के बीच में, एक तरफ को खड़े थे,

 

 

 

 

 

छः रक्षक सैनिक ,तलवार लिए, उनके आजू-बाजू खड़े थे,

 

 

 

 

 

दरोगा सौरभ ,अगले ही पल ,एकदम से नीचे बैठ जाता है, और तेजी से अपने पैर को राउंड में घुमाता है ,इसी के साथ ,उन्हें घेरे खड़े सभी छः सैनिक, ज़मीन पर आ गिरते हैं,

 

 

 

 

 

दरोगा ,जल्दी से उनकी तलवार उठा लेता हैं, और फिर “देख कया रहे हो, तुम भी तलवार उठा लो,”

 

 

 

 

 

 

 

अमर और विजय, को तो कुछ समझ ही नहीं आया था ,पर अब उन्होंने भी तलवार उठा ली थी,

 

 

 

 

 

दरोगा सौरभ,” चलो उस तरफ,”, और उन्हें एक तरफ ले जाकर ,”चलो जल्दी से अपने वस्त्र उतारो ,अब यह हमारे काम आएंगे ,इन वस्त्रों में तो, हम जल्दी पहचान में आ रहे हैं, अब हमें अपनी थोड़ी पहचान छुपानी होगी,”

 

 

 

 

 

 

 

सैनिक, डर कर अपने वस्त्र उतार देते हैं ,और फिर उन सभी को, एक कक्ष में बंद कर दिया जाता है,

 

 

 

 

 

दरोगा सौरभ ,और अमर ,विजय ,अब बिल्कुल एक सैनिक के भेष में नजर आ रहे थे ,कोई इन तीनो को नहीं पहचान सकता था,

 

 

 

 

 

विजय,” अब क्या करें”

 

 

 

 

 

अमर ,”चलो तहखाने की तरफ चलते हैं, और मौका ढूंढते हैं ,चोटी हासिल करने का,”

 

 

 

 

 

दूसरी तरफ,

 

 

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देव, अब मंत्र बोलते- बोलते रुक गया था ,और अब खुशी से चिल्लाते हुए ,वह खड़ा हो जाता है, और उसी के साथ ,हवन कुंड के पास रखी, चोटी भी हवा में उड़ने लगती हैं,

 

 

 

 

 

तांत्रिक नूरा,” यह तो बेहद शक्तिशाली तरीके से, अभिमंत्रित हो गई है,” आपने तो कमाल कर दिया,

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देव ,”चलो अब हमें अपना दूसरा काम करना है ,दैत्य सिंबा को अब गुलाम बनाना है,”

 

 

 

 

 

और फिर, अपनी तंत्र शक्ति का ,इस्तेमाल करते हुए, वे दोनों आगे बढ़ जाते हैं ,और तहखाने का दरवाजा उखाड़ कर, बाहर खड़े सैनिकों से जा टकराता है ,रास्ता एकदम साफ हो गया था,

 

 

 

 

 

चारो तेजी से, बाहर की तरफ बढ़ गए थे कि, तभी उन पर बाणों की वर्षा होने लगी थी,

 

 

 

 

 

तांत्रिक नूरा ने, हवा में ही उस सारी बाण वर्षा को ,को नष्ट कर दिया था,

 

 

 

 

 

इन सभी के, बाहर आते ही ,अब यहां भीषण युद्ध छिड़ गया था,

 

 

 

दूसरी तरफ,

 

 

 

 

 

 

 

सिंबा वन की सीमा बढ़ते हुए, और भयानक बवंडर उठाते हुए ,राज महल के करीब आ पहुंची थी,

 

 

 

 

 

शैतानी ताकतों और, निशाचर पक्षियों का शोर ,पूरे राज महल को गुंजायमान कर गया था ,हर कोई यह आवाज सुनकर ,भयभीत हो उठा था,

 

 

 

 

 

और फिर ,देखते ही देखते ,वह सीमा पूरे राजमहल को अपने चपेट में ले लेती हैं ,और आगे बढ़ती चली जाती हैं,

 

 

 

 

 

 

 

शैतानी सेना ,रास्ते में आने वाली हर चीज को, बर्बाद करती हुई, महल में प्रवेश कर गई थी, और उसने यहां बेहद तबाही मचानी शुरू कर दी थी ,महल की दीवारें और अटारिया टूट- टूट कर गिरने लगी थी,

 

 

 

 

 

निशाचर पक्षी ,और शैतान, राजा के सैनिकों पर, टूट पड़े थे, और उनका खून पीना शुरू कर चुके थे,

 

 

 

 

 

 

 

दोनों तरफ से, अब युद्ध की शुरुआत हो चुकी थी,

 

 

 

राजा नरवीर ,मंत्रों का उच्चारण करता है, और सैनिकों से अग्निबाण की वर्षा शुरू करवा देता है,

 

 

 

 

 

अब अग्निबाण के प्रभाव से, शैतानी सेना भी ,घायल होने लगी थी ,अब वहां रक्तपात शुरु हो चुका,

 

 

 

 

 

सेनापति,”‘ महाराज सिंबा वन की सीमा तो बढ़ते हुए हमारे महल को ,अपने चपेट में ले चुकी है ,और यह शायद हमारे पूरे साम्राज्य को निगल जाएगी ,अब हम क्या करें, हमारा बच पाना लगभग असंभव है,”

 

 

 

 

 

राजा नरवीर ,”तुम फिक्र मत करो, उधर देखो, वे तीनों तांत्रिक वहां आ चुके हैं,”

 

 

 

 

 

दैत्य सिंबा ,भी महल में प्रवेश कर चुका था ,और उसने वहां विध्वंस की नई दास्तान लिख दी थी ,और फिर उसकी नजर ,राजा नरवीर पर पड़ चुकी थी, और वह उसे मारने ,उसकी तरफ दौड़ा चला आया था,

 

 

 

 

 

राजा नरवीर ,शक्तिशाली अग्निबाण का, प्रयोग उस पर करवाता है,

 

 

 

 

 

दैत्य सिंबा,” आज इन का मुझ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि मुझे वनदेवी ने एक दिन का समय दिया है, और इस समय में ,”मैं” तेरा विनाश कर दूंगा, और अग्निबाण को तिनके की तरह उड़ाता ,हूंआ राजा के पास आ पहुंचता है,

 

 

 

 

 

 

 

और इस तरफ,

 

 

 

 

 

अमर, विजय और दरोगा ,एक तरफ उड़ रहे अपने तिलिस्मी पत्ते पर सवार हो जाते हैं ,और तेजी से उड़ते हुए, महल की छत पर पहुंच जाते हैं,

 

 

 

 

 

अमर ,”अब हम क्या करें, उस तरफ देखो, शायद अब राजा की मृत्यु ,उसके सिर पर आ गई है ,क्या हमें उसे बचाने जाना चाहिए या नहीं,”

 

 

 

 

 

विजय,” पड़ा रहने दो ,जब वह हमें कैद कर सकता है, तो हमें क्या पड़ी है ,उसकी जान बचाने की, मरने दो उसे,”

 

 

 

 

 

अमर,” क्या पहले भी हमने उसे मरने दिया था ,और अगर वह मारेगा तो ,हमें फायदा होगा या नुकसान,”

 

 

 

 

 

सौरभ,” यह क्या बोल रहे हो ,इसमें फायदा और नुकसान कहां से आ गया,”

 

 

 

 

 

अमर,” मेरी बात ध्यान से सुनो ,क्या तुम्हें राजकुमारी शिल्पा की बात याद है ,जब वह हमें चुड़ैल के रूप में मिली थी, उसने क्या कहा था कि ,हमें हर निर्णय सोच समझ कर लेना है ,और इस बार उसे उस इस श्राप से मुक्ति दिलानी है,

 

 

 

” तो हमें इस बार, हर काम दिमाग से करना होगा ,और सोचना होगा ,क्या सही है,क्या गलत, बिल्कुल एक शतरंज के खेल की तरह,”‘

 

 

 

 

 

 

 

दरोग़ा सौरभ, उसकी बात सुनकर ,”तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो, फिर तो मुझे भी ,अपना दिमाग चलाना ही होगा, जिस तरह हम शातिर अपराधी को पकड़ते हैं, बिल्कुल ऐसे ही,”

 

 

 

 

 

विजय ,”उधर देखो, तांत्रिक चित्र देव, मंत्रों का उच्चारण शुरू कर चुका है ,और उसके पास में ,वह राजकुमारी शिल्पा की चोटी लहरा रही है, शायद अब यह चोटी दित्य सिंबा के गले में जाकर ढल जाएगी ,और वह उसका गुलाम बन जाएगा,”

 

 

 

 

 

 

 

अमर,” तो हमें क्या करना चाहिए ,तांत्रिक पर हमला या फिर महाराज को बचाएं,”

 

 

 

 

 

तीनों तेजी से ,सोचने लगे थे,

 

 

 

 

 

विजय,” हमें महाराज को बचा लेना चाहिए ”

 

 

 

 

 

 

 

अमर,” ठीक कहते हो ,अगर हम महाराज को वहां से हटा देंगे ,और दैत्य सिंबा का ध्यान, इन तांत्रिक की तरफ लगा देंगे तो, शायद वह इस चोटी को ,अपने गले में ना डलने दे, वरना यह तांत्रिक पीठ पीछे से, चोटी उसके गले में डाल देंगे ,और यह शायद इसी की तैयारी कर रहे हैं,”

 

 

 

 

 

 

 

अमर ,तेजी से तिलिस्मी पत्ते को ,राजा के पास चलने को कहता है, पत्ता राजा के पास पहुंच जाता है ,और यह तीनों राजा को, पत्ते में खींच कर ,तांत्रिक चित्रदेवा की तरफ बढ़ जाते हैं,

 

 

 

 

 

दैत्य सिंबा, का ध्यान, तिलिस्मी पत्ते के, पीछे- पीछे ही तांत्रिक चित्र देवा पर पड़ जाता है, जोकि अभिमंत्रित चोटी को ,उसके गले में डलने के लिए भेज चुका था,

 

 

 

 

 

दैत्य सिंबा, उस राजकुमारी शिल्पा की, चोटी की माला को देखकर, अपना भरपूर तांत्रिक वार ,उस पर कर देता है ,वार इतना भयानक तांत्रिक शक्तियों से भरा था की, चोटी में समाई, तांत्रिक चित्र देवा और नूरा की सारी, अभिमंत्रित शक्तियां ,एक ही झटके मैं नष्ट हो जाती हैं,

 

 

 

 

 

 

 

दैत्य सिंबा ,बड़ी जोर से गर्जना करता है,” मूर्ख तांत्रिक इस माला को ,मेरे गले में तभी डाला जा सकता है ,जब मैं तपस्या में बैठा हूं ,पर तुम लोगों ने”, मेरी आंखों के सामने इसे मुझ में डालने का साहस कर लिया,”

 

 

 

” अब देखो मैं तुम सब का, क्या हाल करता हूं ,बहुत तांत्रिक बनने का शौक है, तुम लोगों को, अब तुम तीनों को भी ,मार कर मैं अपनी उर्जा और बढ़ा लूंगा,”

 

 

 

 

 

 

 

दैत्य सिंबा ,और तांत्रिक चित्र देवा की, शक्ति के टकराव के कारण ,चोटी उछलकर दूर जा रही थी”, पर तभी अमर तेजी से ,अपने तिलिस्मी पत्ते को, उस तरफ ले गया ,और उसने राजकुमारी शिल्पा की चोटी को, थाम लिया, अब चोटी फिर से इनके पास आ गई थी,

 

 

 

 

 

 

 

विजय,” अरे वाह, फिर से यह चोटी हमारे हाथ लग गई है,” और एकदम से ,काफी उत्साहित हो जाता है,

 

 

 

 

 

 

 

दरोगा सौरभ, चिल्लाते हुए,” उधर देखो, दैत्य सिंबा भी इस तरह ही बढ़ रहा है ,उन तांत्रिकों को छोड़कर, शायद उसका पहला उद्देश्य, इस चोटी को प्राप्त करना ही है,”

 

 

 

 

 

अमर ,”अब हमें क्या करना चाहिए, इस चोटी को किसे देना चाहिए ,क्योंकि हमारे, एक सही फैसले से ,यह चोटी हमारे पास आ गई है,”

 

 

 

 

 

दरोगा सौरभ, कुछ सोचता है और ,”मुझे लगता है यह चोटी हमें महाराज को दे देनी चाहिए, क्योंकि यह इनकी ही पुत्री की चोटी है, तो यह इनकी ही अमानत हुई,”

 

 

 

 

 

अमर ,”तुम ठीक चाहते हो, तभी हमने शायद महाराज को बचाने का निर्णय लिया, और फिर यह चोटी भी ,”अब हमारे पास आ गई है, लीजिए महाराज “आप की पुत्री शिल्पा की यह चोटी आपकी हुई,”

 

 

 

 

 

राजा नरवीर ,उस चोटी को थाम लेता है ,”और उसकी आंखों में चमक आ जाती है ,वह तेजी से मंत्र पढ़कर, उस चोटी पर हाथ फेरने लगता है ,चोटी में चमक बढ़ती जा रही थी,

 

 

 

 

 

दैत्य सिंबा ,उन पर तांत्रिक वार कर रहा था “पर तिलिस्मी पत्ता अपना, खुद बचाव करने में लगा हुआ था,

 

 

 

और इस तरफ,”

 

 

 

 

 

सुरा,” गुरुदेव हम फिर असफल हो गए ,राजकुमारी की चोटी हमारे हाथ से निकल गई ,और अब यह दैत्य हमें मसल कर रख देगा ,अब यहां से भागने में ही हमारी भलाई है,”

 

 

 

 

 

तांत्रिक नूरा, पर इस साम्राज्य से ,हम कहां भाग कर जाएंगे ,देख रहे हो सिंबा वन की सीमा ,कहां तक निकल गई है, हम इससे बच नहीं सकते ,और इसकी यह विकराल शैतानी सेना, हमें कभी भी, अपना निशाना बना सकती हैं,”

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देव ,”अब हमें कहीं भागने की आवश्यकता नहीं ,अब हम वापस अपने समय काल में जाएंगे”, और फिर वह उसी ,गलियारे में बैठ जाता है ,जहां से सीढ़ियां ऊपर को जाती थी ,छत की तरफ,

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देव ,वहां एक गोल घेरा बना देता है, और उसमें एक तरफ खुद बैठ जाता है ,और दूसरी तरफ, हवलदार गायब सिंह को बिठा देता है,

 

 

 

 

 

हवलदार गायब सिंह,” बाबाजी ,क्या इस घेरे में, बैठ कर हम अपने समय काल में पहुंच जाएंगे,”

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा ,उसकी बात का जवाब देते हुए ,”नहीं बल्कि, अब तुम्हारी बलि दी जाएगी, तभी तो तुम्हें मैंने अपने साथ रखा है ,यहां से वापस ,अपने समय काल में जाने के लिए ,हमें एक इंसान की बलि की आवश्यकता थी ,अब वह बलि तुम हमारी बनोगे “,और उसके सिर पर अपना हाथ रख देता है,

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा , के ऐसा करते ही ,हवलदार गायब सिंह का बदन शांत हो जाता है, और वह आंखें बंद करके बैठा रह जाता है ,उसके ऊपर तिलिस्मी वार हो चुका था, और उसका अपने पर से कंट्रोल हट गया था, सोचने समझने की शक्ति खत्म हो गई थी ,और वह नींद की अवस्था में चला गया था,

 

 

 

 

 

सुरा,” वाह ,गुरुदेव वाह, मान गए आपको, तभी तो मैं यह सोच रहा था ,आपने इस बे फालतू के इंसान को, अपने पास अभी तक क्यों रख रखा है ,जो हमारे किसी काम का नहीं है ,अब बात मेरी समझ में आई ,आप इसे बलि का बकरा बना कर ,अपने साथ घूमा रहे थे ,ताकि जरूरत पड़ते ही ,आप अपना काम कर जाएं,”

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा ,”तुमने बिल्कुल ठीक समझा ,आओ अब तुम दोनों ,इसके दोनों तरफ बैठो ,और फिर मेरे साथ जो मंत्र मैं बोलूं ,उसका उच्चारण करते चले जाना ,”और इस ऊपर जाने वाली सीढ़ियों में एक रास्ता खुल जाएगा, जिस में प्रवेश करते ही ,हम अपने समय काल में पहुंच जाएंगे,”

 

 

 

 

 

 

 

और फिर ,तांत्रिक चित्र देवा, मंत्रों का उच्चारण शुरू करता है, और उसके पीछे-पीछे यह दोनों मंत्र बोलना शुरू कर देते हैं,ताकि, समयकाल का द्वार तेजी से खुल जाए,

 

 

 

 

 

और इधर ,तिलिस्मी पत्ते पर,

 

 

 

 

 

राजा ,उस माला को अभिमंत्रित कर चुका था,

 

 

 

 

 

राजा नरवीर ,”अब इस तिलिस्मी पत्ते को, उसके पास ले चलो, मैं यह चोटी माला, उसके गले में डालना चाहता हूं,”‘

 

 

 

 

 

अमर,” पर यह तो बहुत खतरनाक हो जाएगा ,जैसे हम उसके नजदीक जाएंगे, उसका कोई ना कोई तांत्रिक वार , हमें पकड़ ही लेगा,”

 

 

 

 

 

विजय,” अरे उधर देखो ,तांत्रिक चित्र देवा ,कुछ कर रहा है,”

 

 

 

 

 

अमर ,का ध्यान भी उस तरफ जाता है, और वह एकदम से ,हैरान रह जाता है ,”अरे यह तो वैसे ही सीढ़ियां लग रही हैं ,जिनसे हम इस समय काल में आए थे,”

 

 

 

 

 

दरोगा सौरभ,” कहीं यह तांत्रिक, वापस जाने का रास्ता तो नहीं खोल रहा है,”

 

 

 

 

 

विजय ,”पर वहां पर तो, तीनों तांत्रिक मंत्र बोल रहे हैं ,और वह मोटा आदमी ,आंखें बंद किए ,मदहोशी की हालत में बैठा है,”

 

 

 

 

 

राजा नरवीर ,”तुम उन लोगों को छोड़ो ,और इस तरफ ध्यान दो ,जल्दी से , तिलिस्मी पत्ते को, दैत्य की तरफ ले चलो ,उसने मेरा सारा राज महल खंडहर में बदल दिया है ,मैं उसे छोडूंगा नहीं,”

 

 

 

 

 

अमर, फिर से कुछ सोचने लगता है ,”‘हमें क्या करना चाहिए ,क्या इस दैत्य को ,महाराज का गुलाम बनने दें, या फिर हमें कुछ और करना है” ,अमर की नजर तांत्रिक हवन कर रहे ,तांत्रिक चित्र देव पर थी, जिसके हाथ में तलवार प्रगट हो चुकी थी,

 

 

 

 

 

विजय ,”मुझे लगता है, दैत्य सिंबा को गुलाम बना देना चाहिए, तभी इस दैत्य सिंबा से , छुटकारा पाया जा सकता है,”

 

 

 

 

 

राजा नरवीर ,”हाँ”, सिंबा मेरा गुलाम बन गया तो, फिर मैं उसके द्वारा तुम सभी को ,तुम्हारे समय में भिजवा दूंगा, अब जल्दी करो ,उस तरफ लो ,तिलिस्मी पत्ते को,”

 

 

 

 

 

अमर ,कुछ सोचता है और ,उसके दिमाग में एकदम से एक नई बात आ जाती है ,और, तिलिस्मी पत्ते को, लेकर तांत्रिक क्रिया कर रहे, तांत्रिक चित्र देवा के पास आ जाता है ,

 

 

 

 

 

,इससे पहले कि, वह तीनों तांत्रिक कुछ समझ पाते ,वह हवलदार को पत्ते पर खींच लेता है ,और उसकी जगह राजा नरवीर को धक्का देते हुए , उसके हाथ से चोटी खींच लेता है, और ऊपर गलियारे की सीढ़ियों में पहुंच जाता है,

 

 

 

 

 

 

 

तांत्रिक नूरा ,”अरे इसने यह क्या किया, हमारा तो तंत्र भंग हो गया,”

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा ,”नहीं, ऐसा नहीं हो सकता ,”,और गुस्से से ,हाथों में जो तलवार थी, वह चल गई थी, और राजा की गर्दन काट कर ,एक तरफ जा गिरी थी,

 

 

 

 

 

,और इसी के साथ, सीढ़ियों पर ,फिर से द्वार खुल गया था,

 

 

 

विजय, चिल्लाते हुए , सीढ़ियों पर पर खुल रहे ,द्वार को देखकर,” समय काल का दरबार खुल गया है, इधर देखो,”

 

 

 

सबकी नजर, उस तरफ हो जाती है ,और समय द्वार को खुलता देखकर ,उनके चेहरे पर, एक चमक आ जाती है,

 

 

 

अमर चिल्लाते हुए,” चलो”, अब हमें देर नहीं करनी है, सबसे पहले, तिलिस्मी पत्ते से, कूदकर , गायब सिंह को लेकर, अपने समय काल में लौट आए थे,

 

 

 

 

 

अजय, विजय ,दरोगा सौरभ, और हवलदार गायब सिंह, जिसे अब होश आना शुरू हो गया था,

 

 

 

 

 

अजय,” जल्दी से, यहां से भागो, हमें छुप जाना है, क्योंकि हमारे पीछे , तीनों तांत्रिक भी आते होंगे ,”शायद वह भी गलियारे की सीढ़ियां चढ़कर, तिलिस्मी द्वार के पास पहुंचने वाले होंगे, जल्दी ,भागो यहां से,”

 

 

 

 

 

,और फिर वे चारों भाग कर ,जंगल में झाड़ियों की तरफ चले जाते हैं,

 

 

 

 

 

और ठीक ,उनके पीछे ,गुरु, चेला ,और तांत्रिक चित्र देवा, समय काल के चक्र से, बाहर आ गिरे थे,

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा ,”कहां गए वे चारो, मैं उन्हें जिंदा नहीं छोडूंगा ,मैं बिल्कुल भी उन्हें जिंदा नहीं छोडूंगा “,और गुस्से से पागल होने लगता है,

 

 

 

 

 

 

 

सुरा ,”गुस्सा शांत कीजिए गुरुदेव ,अच्छा तो यही हुआ कि ,हम वापस आ गए ,वरना वह दैत्य हमारी ही तरफ़ हमें मारने भागा चला रहा था ,अगर एक भी क्षण देर हुई होती तो ,हम वही हमेशा के लिए ,मर गए होते,”

 

 

 

 

 

 

 

तांत्रिक नूरा,” सुरा ठीक कह रहा है गुरुदेव ,हम जिंदा वापस आ गये ,यही बड़ी बात है, खुश हो जाइए ,यही काफी है , चलिए हमारे ठिकाने पर ,वहां अब आराम करेंगे, काफी दिन हो गए, चैन की नींद नहीं सोए हुए, ताकत और शक्ति अर्जित करने के चक्कर में ,जाने क्या-क्या करके आ गए हैं, हम सभी,”

 

 

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा ,अभी गुस्से से ,आगे ही बड़ा था कि ,”वहां तेज हवाएं चलने लगी थी ,रात का गहन अंधेरा, वहां फैल चुका था ,दूर फिर चुड़ैल के रोने और विलाप करने की ,आवाज सुनाई देने लगी थी, ऐसा लग रहा था, कोई अपनी बेबसी पर रो रहा हो,”

 

 

 

 

 

 

 

तांत्रिक नूरा ,”अरे ,अब हम यहां से ,बाहर नहीं जा सकते, हमें यही अपने आप को रोकना होगा ,वरना यह चुड़ैल कहीं आज हमें मार ना डाले,” और अब इनके ,चेहरे पर, फिर से घबराहट आ चुकी थी,

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा, तेजी से, उस खंडहर मैं चारों तरफ अपनी तंत्र शक्ति से ,एक घेरा बना देता है ,ताकि चुड़ैल उस घेरे को पार कर के, अंदर ना सके,

 

 

 

 

 

सुरा ,डरकर कांपते हुए ,”गुरुदेव नूरा जी ,आप भी अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर दीजिए ,मुझे लगता है, आज यह चुड़ैल कुछ ज्यादा ही ,विध्वंसक रूप में आई हुई है,”

 

 

 

 

 

तांत्रिक नूरा ,भी अपनी मंत्र शक्ति का ,इस्तेमाल शुरु करता है, और एक नया घेरा और तैयार कर देता है,

 

 

 

 

 

 

 

और तभी ,उन सभी को, दूर से, लंबे -लंबे जंप लेती हुई, चुड़ैल वहीं आती,नजर आ जाती हैं, कुछ ही पल में वह चुड़ैल वहां पहुंच गई थी, जिसे देखकर, वे तीनों भयभीत होकर ,पीछे की तरफ हट जाते हैं,

 

 

 

 

 

चुड़ैल ,उन तीनों को देखकर, बड़ी जोर -जोर से चीखने लगती है,” आज मैं तुम तीनों को, मारकर खा जाऊंगी, मैं बहुत भूखी हूँ ,”,और फिर अपनी काली शक्ति का वार, उनके तांत्रिक बंधन पर करती है, और इसी के साथ ,तांत्रिक चित्र देवा का, बिछाया तंत्र जाल, चटक जाता है,

 

 

 

 

 

 

 

चुड़ैल, यह देखकर बहुत खुश होती हुई, और भी ऊंची आवाज में खिलखिलाती है ,”आज तुम तीनों को ,कोई नहीं बचा सकता ,तुम्हारी यह उर्जा भी नहीं ,आज तो मुझे अपनी भूख शांत करनी ही है ,बहुत महीनों से मैंने, कुछ नहीं खाया ,आज भरपेट भोजन करूंगी,”, और अपने तीखे और बड़े दांत, उन तीनों को दिखाती हैं,

 

 

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा ,समझ जाता है कि, ज्यादा समय तक इस चुड़ैल का सामना करना, मुश्किल हो जाएगा ,और रात अभी बहुत लंबी है ,और वह फिर कुछ सोचने लगता है,

 

 

 

 

 

 

 

चुड़ैल, फिर से, अपने हाथों को सीधा करती है, अपनी शक्ति, उस तंत्र पर फेंकने के लिए ,पर तभी,

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा,” रुको, रुको चुड़ैल, मेरी बात सुनो, तुम्हें बहुत भूख लगी है ना, तो मैं तुम्हें खाने के लिए, चार जवान इंसान दूंगा ,तुम उन्हें खाकर ,अपनी भूख मिटा लो,”

 

 

 

 

 

 

 

चुड़ैल ,उसकी बात सुनकर रुक जाती हैं,” किया कहा, चार इंसान देगा ,मुझे खाने के लिए, दे, मैं तुम तीनों की जान बख्श दूंगी, दे मुझे चार जवान इंसान खाने के लिए”, और अपनी तीखी नजरों से, उसे देखने लगती है,

 

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देव ,”उस तरफ चार लड़के भाग कर गये हैं, तुम उन्हें पकड़ लो ,क्या तुम्हें ,उनकी महक आ रही है,”

 

 

 

 

 

 

 

चुड़ैल ,अपनी लंबी नाक से, हवा को समझने की कोशिश करती है, और फिर ,उसकी आंखों में चमक बढ़ जाती है,” तूने बिल्कुल ठीक कहा, उधर तो वाकई में मानव हैं ,मुझे तो लगा था कि, बस यहीं पर मानव हैं,

 

 

 

 

 

” अब पहले मैं उन्हीं को खाती हूं ,वरना वे मेरी सीमा से बाहर ना भाग जाएं, पर मैं तुम लोगों को भी, नहीं भागने दूंगी,”, और अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल, वहां कर देती हैं, जिससे वहां एक घेरा बन जाता है ,और फिर चिल्लाते हुए, लंबे-लंबे जंप भरते हुई ,जंगल में प्रवेश कर जाती हैं,

 

 

 

 

 

और इधर,

 

 

 

 

 

 

 

अमर, विजय ,दरोगा सौरभ और हवलदार ,तेजी से भागते हुए, उसी जगह पहुंचे थे, जहां तांत्रिक नूरा और सुरा का ठिकाना था,

 

 

 

 

 

,उस विशाल वृक्ष के तने पर ,महाकाली की प्रतिमा बनी हुई थी ,सभी महाकाली को हाथ जोड़कर प्रणाम करते हैं,

 

 

 

 

 

विजय, लंबी, लंबी सांसे लेते हुए ,अपनी सांसो को नियंत्रित करने की कोशिश करता है ,और फिर ,”अजय भाई ,तुम यह चोटी यहां क्यों ले आए, इसे वहीं फेंककर क्यों नहीं आ गए, कहीं अब यहां भी, मुसीबत हमारे गले ना पड़ जाए,”

 

 

 

 

 

गायब सिंह ,”मुझे तो चुड़ैल की आवाज, उस तरफ से आती सुनाई दे रही है ,अच्छा हुआ, हम इधर भाग आए, वरना कहीं उसके हाथ लग जाते तो ,”,और फिर डर कर काँपने लगता है,

 

 

 

 

 

 

 

दरोगा सौरभ ,”तुम इस चोटी का क्या करोगे अमर, मुझे लगता है, तुम किसी मकसद से ही ,इस चोटी को यहां लाए हो,”

 

 

 

 

 

अमर ,”हां “अब मेरी बात ध्यान से सुनो, किसी भी वक्त चुड़ैल यहां आ सकती हैं ,और हमें यह चोटी ,उसके बालों में लगानी है ,तभी उसका श्राप खत्म होगा, और वह अपने वास्तविक रूप में ,आकर मुक्ति पा जाएगी,”

 

 

 

 

 

विजय,” क्या कह रहे हो, तुम्हें कैसे पता है, ऐसा ही होगा,” और आश्चर्य से ,अमर के चेहरे की तरफ देखने लगता है,

 

 

 

 

 

अमर,” मतलब साफ है ,उसी युग में ,हमें यह चोटी प्राप्त हुई है, तो हम इसका प्रयोग वहां नहीं कर सकते हैं, क्योंकि उस युग में तो, राजकुमारी शिल्पा की चोटी श्राप के कारण काटी गई है, उसे उस श्राप को पूरा भी तो करना है, और मुझे लगता है ,वह श्राप इस समय में आकर पूरा हो जाएगा ,अगर हमने यह चोटी, फिर से उसके बालों में लगा दी तो,”

 

 

 

” इसलिए मैंने यह फैसला लिया था ,इस चोटी को ,इस समय मे लाने का ,और जब मैंने तांत्रिक चित्र देवा के हाथ में तलवार देखी तो, मैं समझ गया, वह इस हवलदार की बलि देकर, वह समय चक्र का द्वार खोलने वाला है, इसलिए मैंने फ़ौरन यह फैसला लिया था,”

 

 

 

“और अगर ,राजा नरवीर की बात मानकर, दैत्य सिंबा को गुलाम बना लेते तो, फिर से यह चोटी हमेशा दैत्य सिंबा के ही गले में पड़ी रह जाती, इसलिए मुझे बात समझ में आ गई थी कि, मुझे अब क्या करना है , हमें उस समय काल की सोच को, वही खत्म करके ,अपने समय काल में आना है ,क्योंकि हमें उस समय काल से, कोई मतलब नहीं था,”

 

 

 

 

 

“पर यह चोटी, जिस राजकुमारी शिल्पा की है ,वह हमारे इस समय काल में है, इसलिए चोटी का ,इस समय काल में, आना जरूरी है , अब यह चोटी हमारे काम आने वाली हैं, और यह राजकुमारी शिल्पा को, श्राप से मुक्ति दिला देगी,”

 

 

 

 

 

हवलदार गायब सिंह ,”तुम्हारे कहने का मतलब है, यह जंगल की चुड़ैल, उस समय काल की राजकुमारी शिल्पा है ,मैं तुम्हारी बात नहीं मानता ,यह नहीं हो सकता, यह चुड़ैल तो ,यहां मारी गई लड़की है, जिसका यहां कुछ लड़कों ने मर्डर कर दिया था ,और उसके बाद से ही है, यह चुड़ैल यहां आई है,”

 

 

 

 

 

अमर ,”नहीं, ऐसा कुछ नहीं है ,असलियत यही है ,जो मैं बता रहा हूं,”

 

 

 

 

 

हवलदार गायब सिंह ,”तो फिर, अब यह सिद्ध करके दिखाओ, तब मैं मान लूंगा,”

 

 

 

 

 

,और तभी चुड़ैल के चीखने और, उस तरफ भाग कर आने की आवाज ,उन्हें सुनाई देने लगती है ,और वे चारों डरकर सहम जाते हैं,

 

 

 

 

 

विजय,” अब क्या करें अमर भाई ,जल्दी बताओ,”

 

 

 

 

 

दरोगा सौरभ ,अपनी रिवाल्वर निकाल लेता है ,”फिक्र मत करो, मैं अपनी सारी गोलियो को उसके, सीने में उतार दूंगा ,और उसे मार कर ,फिर हम यह चोटी उसके सिर पर लगा देंगे,”

 

 

 

 

 

अमर ,”नहीं, ऐसा कुछ नहीं हो सकता ,एक काम करो, दरोगा साहब ,आप और हवलदार साहब ,फौरन इस सीढ़ी से, वृक्ष पर चढ़ जाओ ,और आप यह चोटी पकड़ो, हम यहां नीचे खड़े रहेंगे ,जब चुड़ैल हम पर हमला करेंगी, तब आपको ऊपर से जंप करके ,उसके बालों में ,यह छोटी उलझानी होंगी, ,मुझे लगता है, इतने से काम हो जाएगा,”

 

 

 

 

 

दरोगा सौरभ ,”ठीक है लाओ, इधर दो ,”,और फिर वह ,हवलदार को लेकर वृक्ष में चढ़ जाता है,

 

 

 

 

 

विजय,” आवाज पल-पल पास आ रही हैं ,हमें सावधान हो जाना चाहिए,”, और अभी विजय की बात पूरी भी नहीं हुई थी की, चुड़ैल उस वृक्ष के पास आकर खड़ी हो गई थी,

 

 

 

 

 

विजय ,तो उसे देखकर, सांस लेना ही भूल गया था, उसकी सांस अटक सी गई थी,

 

 

 

 

 

चुड़ैल ,मुंह बनाते हुए ,उन तांत्रिकों ने तो कहा था कि, तुम चार हो, पर तुम तो यहां, दो ही हो ,मजा नहीं आया, पर कोई बात नहीं, अब तुम दोनों को ही, खा कर, फिर उन तीनों को खाने जाती हूं,”

 

 

 

 

 

अमर, विजय का हाथ पकड़ते हुए, धीरे से,” डरो मत” और फिर ऊंची आवाज में ,”आओ राजकुमारी शिल्पा, हमें तुम्हारा ही इंतजार था ,हम तुम्हारे लिए कुछ लाए हैं,”

 

 

 

 

 

 

 

चुड़ैल ,अमर के मुंह से ,अपना नाम सुनकर ,आंखों को बड़ा कर लेती है ,और अपने सिर को ,इधर-उधर घुमाती हैं ,”कौन राजकुमारी शिल्पा ,मैं चुड़ैल हूं ,चुड़ैल ,”

 

 

 

“और फिर ,अपनी लंबी जीभ निकालकर हवा में घूमाती है ,और उन दोनों को मारने आगे बढ़ जाती है,

 

 

 

 

 

 

 

अमर ,”होश में आओ राजकुमारी शिल्पा, हमें पहचानो, हम तुम्हारे लिए, कुछ लाए हैं ,तुम्हारी कटी हुई चोटी ,याद है ना तुम्हें ,या तुम सब कुछ भूल गई, याद करो, राजकुमारी शिल्पा,”

 

 

 

 

 

 

 

चुड़ैल ,उसकी बात सुनकर ,”मुझे चोटी नहीं, तुम्हारा खून चाहिए ,मेरी भूख ,तुम्हारे खून से मिटेगी ,”,और अगले ही पल ,वह उन पर झपट पड़ती हैं ,

 

 

 

,और दोनों को लेकर ,ज़मीन पर आ गिरती है ,उसके दोनों हाथ ,उन दोनों की गर्दन पर थे,

 

 

 

 

 

चुड़ैल ,”पहले किसका खून पी यू ,जल्दी बोलो, किस की गर्दन धड़ से पहले उखाड़ू ,”और उसका हाथ दोनों की गर्दन पर कसने लगते हैं,

 

 

 

 

 

अमर और विजय को ,अपनी गर्दन ,धड़ से अलग होती महसूस होने लगती है, विजय को बेहोशी छानी शुरू हो गई थी ,चुड़ैल को अपने ऊपर बैठा देखकर ,उसकी सांसे रुक रही थी,

 

 

 

 

 

 

 

चुड़ैल, का ध्यान, पूरी तरह से ,उन दोनों पर ही था,

 

 

 

 

 

 

 

और तभी, दरोगा सौरभ ,वृक्ष से सीधा, उसी के ऊपर जंप करता है ,और चोटी उसके बालों में उलझा देता है,

 

 

 

 

 

,अगले ही पल ,चोटी चुड़ैल के बालों में, अपने आप को मजबूती से मिलाती चली जाती है, चुड़ैल के सिर के कटे हुए बाल और चोटी ,आपस में मिलकर, चिंगारियां पैदा करने लगते हैं, हजारों वर्ष के बाद ,आज राजकुमारी शिल्पा कि ,उस समय कटी हुई चोटी ,इस आधुनिक युग में ,फिर से उसके बालों से मिल गई थी,

 

 

 

 

 

 

 

चुड़ैल ,एक तरफ को जा गिरती है ,और अपना सिर पकड़ कर बैठ जाती है ,उस जगह पर ,चांद का हल्का ही प्रकाश था ,पर अब जैसे ,वहां हजारों रंग-बिरंगे बल्ब जल गए हो ,इतना अधिक रंग बिरंगा प्रकाश ,वहां फैल गया था,

 

 

 

 

 

दरोगा सौरभ ,अमर और विजय को, संभालता है, जो लगभग बेहोश ही होने वाले थे ,पर अब वहां फैले उजाले को देखकर ,वह दोनों भी ,अपनी आंखें खोल रहे थे,

 

 

 

 

 

हवलदार गायब सिंह , भी नीचे उतर आया था ,और वह भी अब हैरान था,

 

 

 

 

 

विजय ,धीमे-धीमे आंखें खोलते हुए,” मैं जिंदा हूं, या दूसरी दुनिया में पहुंच गया,”

 

 

 

 

 

दरोगा सौरभ,” जिंदा हो, और एकदम ठीक हो, उधर देखो ,चमत्कार हो रहा है ,फिर ऐसा दृश्य देखने को, शायद कभी ना मिले, जल्दी से आंखें खोलो,”

 

 

 

 

 

अजय और विजय, उस तरफ देखने लगते हैं ,जिधर चुड़ैल, अपना सिर पकड़े बैठी हुई थी,

 

 

 

 

 

 

 

,उसके ऊपर ,एक अलग ही प्रकाश पड रहा था, जो पता नहीं, कहां से आ रहा था, उसकी काया लगातार बदल रही थी, उसका रंग रूप ,और फिर देखते ही देखते ,वहां वही अप्सराओं के ,समान सुंदर, राजकुमारी शिल्पा बैठी थी,

 

 

 

 

 

राजकुमारी शिल्पा ,अब अपने पैरों पर खड़ी हो जाती है, और उन सभी को देखती हैं,

 

 

 

 

 

,उन चारों के तो मुंह में ,कोई शब्द ही नहीं था ,कुछ बोलने के लिए, वह तो बस अपलक उसे देखे जा रहे थे ,उन्हें तो ऐसा लग रहा था ,जैसे वे फिर से, समय काल के चक्र में पीछे चले गये हो,

 

 

 

 

 

 

 

राजकुमारी शिल्पा ,अपनी मंत्र मुग्ध कर देने वाली ,मुस्कान से ,”आखिर आज तुम चारों जीत ही गए, हजारों वर्ष पहले ,जब मेरी चोटी को काटा गया था ,तब से तुम मेरे लिए लड़ते आ रहे हो ,और हर 100 साल में, तुम्हें यह मौका मिलता रहा है, पर इस बार तुम सफल हो ही गये, और मुझे इस श्राप से मुक्ति दिला ही दी,”

 

 

 

 

 

 

 

अमर ,हकलाते हुए ,”अब आप इसी रूप में, इस जंगल मे रहेंगी,”

 

 

 

 

 

राजकुमारी शिल्पा ,उसकी बात सुनकर ,खिलखिला कर हंस पड़ती है ,”नहीं, मैं तो बस ,आप सभी से विदा लेकर जा रही हूँ, अपने लोक में,”

 

 

 

 

 

विजय,” आपको देखकर, हमें बहुत खुशी हुई कि आप बिल्कुल, पहले जैसी हो गई ,हम तो वहां खजाना लेने गए थे, पर हमारे हाथ लगी, आप की चोटी ,पर सच बताएं ,तो यह चोटी, उस खजाने से अब ज्यादा कीमती लग रही है,”

 

 

 

 

 

 

 

राजकुमारी शिल्पा, विजय की बात सुनकर, मुस्कुराते हुए ,अपना हाथ घुमाती हैं, और उसके हाथों में एक बक्सा प्रकट हो जाता है,” यह लो, मेरी तरफ से तुम चारों को पुरस्कार,”, और आगे बढ़ कर ,उनके हाथों में उसे थमा देती है,

 

 

 

 

 

राजकुमारी शिल्पा को ,अपने करीब आया देख कर, वे चारों तो अपना होश ही खोते जा रहे थे, उन्हें तो वह इस वक्त, किसी परिकल्पना की परी लग रही थी,

 

 

 

 

 

अमर,” राजकुमारी शिल्पा जी ,उन तांत्रिकों का क्या होगा, इस यात्रा में तो ,उनका भी योगदान था ,चाहे कैसे भी हो, उन्हीं की वजह से हम वहां गए थे,”

 

 

 

 

 

 

 

राजकुमारी शिल्पा,” वे दुष्ट प्रवृत्ति के हैं, और अब उनकी समस्त तांत्रिक विद्या नष्ट हो जाएगी ,जैसे ही वे उस खंडहर से बाहर निकलेंगे, क्योंकि हर बार, उन्होंने ही तुम चारों के काम में रूकावट पैदा की हैं, पर इस बार तुम ने उनकी एक न चलने दी ,और अपने दिमाग और शक्ति के बल पर ,मुझे श्राप मुक्त कर ही दिया,”

 

 

 

 

 

“यह तीनों तांत्रिक, हर बार यह चोटी प्राप्त करना चाहते थे ,और वहां होने वाले ,इस युद्ध में ,या तो हमेशा राजा नरवीर जीते थे, या फिर वह दैत्य सिंबा ,यह संघर्ष ऐसे ही हमेशा, हर 100 साल में, एक बार होता रहता था ,जो अब पूर्ण रूप से समाप्त हो गया है, मेरे इस श्राप मुक्त होते ही,”

 

 

 

 

 

 

 

और फिर तभी ,अकाश से एक बेहद ही, सफेद किरण ज़मीन पर आ जाती है ,और राजकुमारी शिल्पा को, अपने आगोश में ले लेती हैं,

 

 

 

 

 

राजकुमारी शिल्पा,” अच्छा ,तो मैं चलती हूं,”, और फिर अपनी प्यारी मुस्कान के साथ ,वह हवा में उड़ती चली जाती है ,अकाश की तरफ ,

 

 

 

 

 

 

 

चारों की नजरें ,राजकुमारी शिल्पा को ही देखती रह जाती हैं, और वह अनंत आकाश में, जाने कहां खो गई थी, उस सफेद किरण के साथ,

 

 

 

 

 

हवलदार गायब सिंह ,आकाश में गहराई में देखते हुए, “लगता है, चली ही गई, राजकुमारी शिल्पा,”

 

 

 

 

 

अमर ,”जी, हां “अब तो आपको विश्वास हो गया होगा ना, कि चोटी को यहां लाकर ,मैंने कोई गलती नहीं की,”

 

 

 

 

 

विजय, ऊंची आवाज में, ,”और अभी भी विश्वास नहीं आ रहा है तो ,इस बक्से को देखो ,शायद अब तुम्हें विश्वास आने लग जाए,”

 

 

 

 

 

दरोगा सौरभ ,”क्या है इस बक्से में, लग तो यह पूरा सोने का रहा है,”

 

 

 

 

 

और फिर ,उस बक्से को, ज़मीन पर रखकर खोल दिया जाता है,

 

 

 

 

 

और ,चारों की आंखें फैलती चली जाती है, राजकुमारी के समस्त गहने, उस बक्से में भरे पड़े थे ,जो राजकुमारी शिल्पा ,अपने समय काल में इस्तेमाल में लेती थी,

 

 

 

 

 

अमर ,”अरे बाप रे ,इतना खजाना, यह तो ,बहुमूल्य से भी, बहुमूल्य है,”

 

 

 

 

 

विजय,” अरे यह क्या रखा है” और एक तरफ रखे लाल कपड़े को निकाल लेता है,

 

 

 

 

 

विजय ,उसे खोलता है ,और उसी के साथ, उसमें शब्द प्रकट होने लग जाते हैं,

 

 

 

 

 

चारों, की आंखें फिर से ,फैलती चली जाती हैं ,और फिर चारो उसे ऊंची आवाज में पढ़ते चले जाते हैं,

 

 

 

,

 

 

 

मेरे मुक्तिदाताओ,

 

 

 

अगर तुम चारों के लिए ,इतना धन पर्याप्त नहीं है, और तुम्हारे मन में, ढेर सारे धन के लिए लालच है, तो तुम इस पर बने तंत्र और मंत्र का संधान कर सकते हो ,यह तुम्हें ले जाएगा ,विशाल खजाने की तरफ,

 

 

 

राजकुमारी शिल्पा,

 

 

 

 

 

उन चारों की आंखें ,एक दूसरे से मिल रही थी, और फिर होठों पर ,हल्की हल्की मुस्कुराना आने लगी थी,

 

 

 

 

 

 

 

समाप्त, समाप्त, समाप्त

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

थाईलैंड के बारे में कुछ रोचक तथ्य, जो आपको जरूर जानना चाहिए। यातायात नियम जो सभी दोपहिया वाहन चालकों को जानना चाहिए Dhruv Rathi: 10 best ideas of affiliate marketing Best investing fund 2024