एक रहस्यमई युद्ध : 14

एक रहस्यमई युद्ध

Chapter – 14: आकाश में काली शक्तियों का तांडव

कहते हैं इस दुनिया में सभी के लिए कोई ना कोई बना है। बस उस किसी के मिलने का सही वक्त होता है। और हमें बस उस वक्त को समझने की ज़रूरत होती है। इस कहानी में भी हमारी काजल सच्चे प्यार की बेवफाई में फंस जाती है पर क्या वो इससे निकल पाएगी? क्या उसे भी मिलेगा उसका सच्चा प्यार? जानने के लिए सुनिए स्वाति कुमारी द्वारा लिखित कहानी बेवफाई और मोहब्बत!

अमर और विजय ख़ज़ाने की खोज में एक ऐसे जंगल में निकल जाते है जहाँ एक महल में काली शक्तियों का साया है…. See More

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एक रहस्यमई युद्ध

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Chapter – 14: आकाश में काली शक्तियों का तांडव

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Chapter – 14: आकाश में काली शक्तियों का तांडव

एक रहस्यमई युद्ध

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बेवफाई और मोहब्बत

4.6

Chapter – 14: आकाश में काली शक्तियों का तांडव

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तांत्रिक चित्र देवा ,अब अपनी तंत्र शक्तियों को ,इस भूतकाल के समय में भी ,बढ़ाता चला जा रहा था, यह ऐसा समय था जहां उसकी शक्तियां अब पहले जितनी  ताकतवर नहीं थी, पर अब सब कुछ बदलता जा रहा था,

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा, बाहर आए निशाचर जानवरों को, देखकर ,तंत्र शक्तियों का जाप करने लग गया था ,जिसके फलस्वरूप ,अब जानवरों की आंखें ,धीरे-धीरे लाल शोले में बदल रही थी ,उन जानवरों और पक्षियों के चेहरे पर, हिंसक भाव उभरने लगे थे,

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा ,”जाओ अब तुम फिर से, जंगल में चले जाओ, जब मुझे तुम्हारी जरूरत होगी ,मैं तुम्हें पुकार लूंगा ,और तुम चले आना मेरी एक ही पुकार से,”

 

 

 

 

 

निशाचर ,जानवर और पक्षी ,तांत्रिक चित्र देवा का आदेश, किसी राजा की तरह ही मानते हैं ,और फौरन जंगल की तरफ भाग जाते हैं,

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा, अब बेहद खुश था, और अभी वह पलट कर वापस झोपड़ी में प्रवेश करता कि, उसकी नजर दूर झाड़ियों में छुपे ,एक व्यक्ति पर पड़ जाती है ,और फिर वह उसे गौर से देखने लगता है,

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा ,”कौन है वहां, झाड़ियों में ,जो भी है सामने आ जाए ,वरना मैं अभी तुम्हें भस्म  कर दूंगा,”

 

 

 

झाड़ियों में छुपा व्यक्ति ,तांत्रिक की बात सुनकर ,भागता चला आता है ,और तांत्रिक चित्र देवा के पैरों पर गिर पड़ता है,

 

 

 

व्यक्ति,” क्षमा, क्षमा, हे मुनिवर, मुझे क्षमा कर दो ,मैंने छुपकर आपको देखा ,पर इसे मेरी पहली भूल समझ कर माफ कर दो,”

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा ,”पहले तुम खड़े हो जाओ ,उसके बाद देखता हूं ,तुम्हें माफ करना है या नहीं,”

 

 

 

व्यक्ति, खड़ा हो जाता है ,और अपने चेहरे से कपड़ा हटा देता है,

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा,” अरे तुम तो वही पुलिस वाले हो ना, जिसने मुझे उस रात जंगल में, प्रवेश करते हुए रोकना चाहा था, तुम यहां कैसे आ गए ,और तुम्हारा नाम क्या है,”

 

 

 

व्यक्ति,” जी मुनिवर ,मेरा नाम हवलदार गायब सिंह है, और मैं अपने दरोगा सौरभ का पीछा करते-करते यहां आ पहुंचा था ,पर मुझे तो यहां कोई भी नहीं मिला, बड़ी मुश्किल से ,अपनी जान बचा पाया हूँ, इधर उधर घूम रहा था ,फिर एकांत में यह झोपड़ी नजर आई ,तो मैं यही चला आ रहा था ,पर यहां का नजारा देखकर, मैं दूर झाड़ियों में छुप गया ,इसके लिए मुझे क्षमा कर दीजिए मुनिवर,”

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा,” अच्छा तो तुम दरोगा सौरभ के पीछे-पीछे यहां आ गए ,पर तुम कैसे आ गए ,दरोगा के प्रवेश करने के बाद तो ,वह सीढियो वाला मार्ग, इस समय काल में आने के लिए, बंद हो चुका था,”

 

 

 

 

हवलदार गायब सिंह,” आपने बिल्कुल ,सत्य कहा मुनिवर, पर जब मैं वहां पहुंचा तो ,वह स्थान सिर्फ चूहे के बिल के जितना ही रह गया था, और मैंने जिज्ञासा बस, उस पर अपना पैर रख दिया, बस फिर क्या था, मैं अंदर खींचता चला गया, और फिर पता नहीं, यह किस समय में आ गया हूं ,अब आप ही मेरी रक्षा कीजिए ,और मुझे वापस मेरे समय में भेज दीजिए,”

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा,” हां ,हां ,क्यों नहीं, मैंने अपनी तप की शक्ति से ,बहुत सारी शक्ति अर्जित की है ,पर मैं तुम्हें तुम्हारे समय काल में भेज सकता हूं ,पर उसके लिए वक्त लगेगा, तब तक तुम्हें मेरे साथ ही रहना होगा, और मेरा हर कार्य करके ,मुझे प्रसन्न करना होगा ,तभी मैं तुम्हें तुम्हारे समय काल में भेजुगा,”

 

 

 

 

हवलदार गायब सिंह, मन ही मन में ,”यह किस चक्कर में फस गया में, रात को बेवजह मैं दरोगा सौरभ के पीछे गया, अच्छा होता कि, मैंने उनका पीछा ना किया होता, तो आज यह दिन मुझे नहीं देखना पड़ता ,और मुझे क्या जरूरत थी, उस अजीब से छेद पर अपना पैर रखने की ,जिसने मुझे यहां पटक दिया,

 

 

” अब इस बाबा की सेवा करते रहो, मैं अपनी सेवा दूसरों से करवाता हूं, अब मैं कैसे इसकी सेवा कर पाऊंगा, मैं तो दूसरों से अपने पैर दबावाता हूं ,अब मैं कैसे इस बाबा के पैर दबाऊगा ,इस पर तो मैं अपनी पुलिसगिरी भी नहीं चला सकता”, और चेहरा लटका कर खड़ा हो जाता है,

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा ,”किस सोच में पड़ गए हवलदार गायब सिंह ,अगर इच्छा नहीं है तो ,तुम यहां से जा सकते हो, यहां के लोग, तुम्हें इन कपड़ों में देखेंगे तो, पता नहीं क्या समझ ले ,और तुम्हें किसी जगह पर, उल्टा लटका कर, तुम्हें पत्थरों से मार मार के, मार डालेंगे, मुझे तो ऐसा ही लग रहा है,”

 

 

 

हवलदार गायब सिंह, दोबारा से चित्र देवा के कदम पकड़ लेता है और ,”कुछ नहीं मुनिवर, मैं तो यह सोच रहा था, आप की सेवा कैसे करूं ,जिससे आप जल्दी प्रसन्न हो जाएं ,और मुझे मेरे समय में भेज दें,”

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा,” चल ठीक है, चल अंदर झोपड़ी में ,मैं तुम्हारे खाने की व्यवस्था कर देता हूं ,शायद तुमने भोजन पानी नहीं किया है,”

 

 

 

हवलदार गायब सिंह ,”जी मुनिवर, दिन भर से भूखा प्यासा ही हूं, बस इधर-उधर छुप कर बैठा हुआ था” ,और झोपड़ी के अंदर प्रवेश कर जाता है,

 

 

 

 

झोपड़ी के अंदर की, दुनिया देखकर तो गायब सिंह की आंखें फटी की फटी रह जाती हैं, बाहर से दिख रही झोपड़ी  अंदर से किसी, महल से कम  नजर नही आ रही थी ,सुंदर पलंग पर सुंदर बिछावन ,एक तरफ रखे, सोने के बर्तनों में स्वादिष्ट भोजन, मदिरा की सुराही, अलग ही चमक रही थी,”

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा ,”आओ भोजन कर लो ,तुम्हारे लिए मैंने, खास मदिरा का प्रबंध कर दिया है ,आओ डरो मत, यह सब तुम्हारे लिए ही है ,”

 

 

 

हवलदार गायब सिंह, डरते ,डरते ,भोजन शुरू कर देता है, और उस स्वादिष्ट भोजन को खाता ही चला जाता है, शायद उसने हद से ज्यादा भोजन कर लिया था ,और उसका मन अभी भी नहीं भरा था, और ना ही उसके हाथ रुक रहे थे,

 

 

और फिर ,मदिरा का भी एक बड़ा गिलास पीने के बाद, वह पलंग पर आकर ,बेसुध हो कर सो गया था, उसे किसी भी बात की अब कोई फ़िक्र नजर नहीं आ रही थी, इस वक्त कहां है ,किसके साथ है, उसे वापस जाना है ,अपने समय लोक में, हर बात से बेखबर, होकर, वह बड़े आराम से, गहरी नींद में सो चुका था,

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा, एक तरफ रखें ,खूबसूरत सिंहासन से खड़े होकर, सोए हुए गायब सिंह के पास पहुंचते ,और उसके हाथ को हिला कर देखते हैं,

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा,” मुझे एक ऐसे ही एक इंसान की आवश्यकता थी, अब मैं इसे अपना गुलाम बना लेता हूं, और फिर यह मेरे आदेश पर चलेगा,”

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा ,कुछ मंत्र बोलता है, और अपने हाथ घुमा देता है ,और इसी के साथ, उसके हाथ में एक काली रस्सी प्रकट हो जाती है ,जिस पर बिच्छू, कनखजूरा, और चूहे ,जैसे जीव बंधे पड़े थे, और वह सब जिंदा भी थे”

 

 

“फिर तांत्रिक उस रस्सी की माला बनाकर, हवलदार गायब सिंह के गले में डाल देता है, और उसके ऐसा करते ही, वह सभी खतरनाक से छोटे जीव ,एकदम से सूख जाते हैं,

 

 

 

हवलदार गायब सिंह ,जो अभी तक शराब और भोजन के नशे में बेसुध होकर सो रहा था, एकदम से अपनी आंखें खोल देता है ,उसकी आंखें एकदम तन जाती है ,फैल कर,

 

 

,ऐसा लग रहा था ,जैसे वह अपनी आंखों को खींचकर चौड़ा कर रहा हो, फिर वह उठ कर बैठ जाता है, और पलंग से उतरकर ,एक तरफ जाकर खड़ा हो जाता है,

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा,” जाओ और गांव में जो पशु बंधा है, उसका दूध निकाल कर ले आओ, और हां ,आते-आते एक काला पशु  लेते हुए आना ,मुझे हवन में उसकी बलि देनी है,”

 

 

 

हवलदार गायब सिंह ,अपने मालिक की आवाज सुनकर, वैसा ही करने ,उस झोपड़ी से निकल जाता है,

 

 

 

हवलदार ,तेज कदमों के साथ चलता हुआ, गांव में आया था, और उसे एक पशु बंधा हुआ दिख गया था, पशु जिस झोपड़ी के बाहर बंधा था, उसी घर के अंदर वह तेजी से जाता है ,और एक पात्र उठा लाता है ,दूध रखने के लिए,

 

 

घर की रसोई में, होते शोर को सुनकर ,घर की ग्रहणी रसोई में देखती है ,और एक अनजान आदमी को ,देखकर शोर मचा देती है,

 

 

 

पर अगले ही पल, हवलदार गायब सिंह के मुंह से बिच्छू का डंक हवा में उछलता है, और उस औरत की गर्दन पर जा लगता है, और वह औरत धड़ाम से गिर पड़ती है, और दर्द से बिलबिला उठती हैं,

 

 

, देखते ही देखते उसके मुंह से जहरीला झाग निकलने लगा था, और उसके प्राण उखड़ गए थे,

 

 

 

हवलदार गायब सिंह ,उस मिट्टी के पात्र को लेकर बाहर आ जाता है ,और बाहर बंधे, एक दुधारू जानवर से दूध निकालकर ,और एक तरफ बैठे काले कुत्ते को भी, अपने बाजू में दबोच कर ले चलता है,

 

 

 

घर के ,दरवाजे के पीछे छुप कर एक 10 -12 साल का छोटा लड़का, यह सब दृश्य देख रहा था ,और अपनी मां को मरे देख कर  ,अब वह बहुत जोर- जोर से रोने लगा था,

 

 

 

और अब ,उस बच्चे के बहुत जोर- जोर से रोने की वजह से, कुछ दूँराई पर बनी झोपड़ियों से ,लोग निकल कर वहां आने लगते हैं, और हैरत से वहाँ मरी पड़ी औरत को देखते हैं ,उसका पूरा बदन नीला पड़ चुका था, जहर की वजह से,

 

 

 

एक आदमी ,”लगता है इस को सांप ने डस दिया है, इसलिए यह मर गई ,इसका तो पति राज महल में काम करता है, वहां भी यह सूचना जल्दी से पहुंचानी पड़ेगी कि, तुम्हारी पत्नी को सांप ने डस लिया है, जिसके कारण उसकी मौत हो गई है,”

 

 

 

 

बच्चा,” नहीं, मेरी मां को सांप ने नहीं मार, उसे तो एक मोटे से अजीब से आदमी ने मार डाला ,और हमारी गाय का दूध निकाल कर ,और हमारे काले कुत्ते को उठाकर यहां से चला गया,”

 

 

 

वहां खड़े लोग,” क्या कह रहे हो ,तुम्हें होश तो है ,किसी आदमी ने ,तुम्हारी मां को मारा ,पर इसे तो जहर से मारा गया लग रहा है,”

 

 

 

बच्चा ,”नहीं ,वह आदमी उस तरफ गया है ,और उसने पीले रंग के वस्त्र पहने हुए हैं,”

 

 

 

एक आदमी ,”वह तुम्हारी गाय का दूध निकाल कर ले गया और तुम्हारे काले कुत्ते को उठा ले गया, कौन हो सकता है वह आदमी, चलो उस तरफ देखने चलते हैं ,शायद अभी ज्यादा दूर नहीं पहुंचा हो,”

 

 

और फिर, सभी लोग उस तरफ भाग पड़ते हैं ,जिस तरह बच्चे ने ,उसके जाने का इशारा किया था,

 

 

 

,उन्हें दूर दूर तक, कोई भी नजर नहीं आता ,उन्होंने हर तरफ नजर डाली थी ,और वैसे भी, रात के अंधेरे में उन्हें ज्यादा दूर तक, नजर भी नहीं आ रहा था,

 

 

 

गांव में ,हवलदार गायब सिंह ,काली शक्तियों से, एक औरत को मार कर, अपना काम कर गया था, और अब यह बात पूरे गांव में फैलती जा रही थी ,जिसका असर यह हुआ कि, यह खबर सैनिकों तक भी पहुंच चुकी थी ,की एक आदमी ने एक औरत को गांव में मार डाला है ,और अब राजा के सैनिक ,उस आदमी को ढूंढने का काम शुरू करने वाले थे,

 

 

 

 

दूसरी तरफ,

 

 

 

 

हवलदार गायब सिंह, दूध और काले कुत्ते को लेकर, झोपड़ी में पहुंच चुका था ,”मालिक, मालिक, मैं आपके लिए ले आया हूं ,ताजा दूध और यह काला जानवर ,यह लीजिए,”

 

 

 

पलंग पर सोया, तांत्रिक चित्र देवा “,अपने हवलदार सेवक की आवाज सुनकर जाग जाता है ,और पालथी मारकर बैठ जाता है,

 

 

 

हवलदार,” यह लीजिए मेरे मालिक, मैं आपका काम करके आ गया हूं ,एक औरत रास्ते में आ रही थी, मैंने उसे मौत के घाट उतार दिया हैं,”

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा,” क्या कहा तुम , एक औरत को मार कर आ गए हो, तुम्हें किसने कहा था ,उसे मार कराने के लिए, तुम उसे सिर्फ घायल करके भी तो आ सकते थे ,या बेहोश करके, तुम्हें मार के आने की क्या जरूरत थी,”, और अपने सेवक के ऊपर चिल्लाने लगता है,

 

 

“तुम्हें पता है, इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, अब लोग तुम्हें ढूंढना शुरू कर देंगे ,अगर किसी ने तुम्हें देख लिया होगा, तो,”

 

 

 

 

हवलदार गायब सिंह,”‘ नहीं मालिक, वहां तो और कोई भी नहीं था, उस औरत के सिवा, इसलिए मुझे किसी ने नहीं देखा,”

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा,” ठीक है अगर किसी ने नहीं देखा तो बहुत अच्छा है, पर अगली बार से सावधान रहना ,और अब यह कपड़े बदल लो ,आज से तुम यह कपड़े नहीं पहनोगे,  उस तरफ तुम्हारे कपड़े रखे हैं, उन्हें धारण कर लो,”

 

 

 

हवलदार गायब  सिंह,” जी मालिक, मैं भी कपड़े बदल लेता हूं,”

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा, पात्र में रखे दूध को ,अपने सामने रखता है ,और एक तरफ खड़े कुत्ते को, कान पकड़ कर खींच लेता है ,और एक ही झटके से, उस कुत्ते की गर्दन उससे धड़ से अलग कर देता है, फिर उस दूध के पात्र में उसका रक्त मिलाने लगता है,

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा,” जितने भी अतृप्त काली शक्तियां हैं, प्रकट हो जाओ ,लो मैंने तुम्हारे लिए भोजन का इंतजाम कर दिया, आओ”,

 

 

और तांत्रिक द्वारा, जिन काली शक्तियों पर कब्जा किया गया था, वह सब उस रक्त मिले दूध को पी जाती हैं, देखते ही देखते, दूध और रक्त  मिला पात्र बिल्कुल खाली हो चुका था, उसमें एक बूंद भी दूध नहीं दिखाई दे रहा था,

 

 

,पात्र के खाली होने के बाद ,काली शक्तियां उस कुत्ते की लाश के ऊपर झपट पड़ी थी ,और उसका हर्ष भी वैसा ही हुआ था ,कुछ ही समय बाद, पता भी नहीं लग रहा था की, झोपड़ी में कोई कुत्ता आया भी था या नहीं ,बिल्कुल सफाचट कर दिया था ,काली शक्तियों ने कुत्ते को,

 

 

 

 

हवलदार गायब सिंह ,वस्त्र बदलकर आ चुका था ,और वह अब एकदम ग्रामीण युवक लग रहा था,

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देव ,”आ जाओ, अब उस तरफ के, पलंग में आराम से सो जाओ,”

 

 

 

हवलदार गायब सिंह ,”जी मालिक” और अपने पलंग की तरफ बढ़ता है ,तभी बाहर उन्हें घोड़ों के टापो की आवाज सुनाई देने लगती हैं ,ऐसा लग रहा था, जैसे कई घुड़सवार झोपड़ी की तरफ ही बड़े आ रहे हो,

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देव ,अपनी आंखें बंद करता है, और अगले ही पल उसकी तांत्रिक माया वहां घूम जाती है ,और वहां सब कुछ  गायब हो गया था, नीचे घास फूस का बिस्तर बिछा था, जिस पर तांत्रिक आराम कर रहा था ,और दूसरे बिस्तर पर हवलदार गायब सिंह,

 

 

 

तभी बाहर से, एक सैनिक की आवाज सुनाई देती है ,”कौन है झोपड़ी के अंदर, जो भी है ,फौरन बाहर आ जाए,”

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा, हवलदार को इशारा करता है, बाहर जाकर बात करके आने के लिए,

 

 

हवलदार गायब सिंह ,”जी मालिक, अभी इन्हें भगा कर आता हूं” और उठ कर सीधा बाहर पहुंच जाता है,

 

 

 

सैनिक,” कौन हो तुम, और तुमने यहाँ किसी पीले वस्त्र धारण कीये आदमी को देखा ,जो एक कुत्ते को ,और जल के पात्र को, अपने साथ लेकर जा रहा था,”

 

 

 

हवलदार ,”जी नहीं ,मैंने तो किसी को नहीं देखा ,अभी तक तो मैं बाहर खेत में ही था,”

 

 

 

सैनिक ,”तुम कौन हो ,और यहां क्या कर रहे हो,”

 

 

 

हवलदार गायब सिंह ,”मैं यहां रहता हूं ,और इन खेतों की रखवाली करता हूं,”

 

 

 

एक सैनिक ,”अच्छा “और फिर वह अपने घोड़े से उतर कर ,”मुझे तुम्हारी झोपड़ी को अंदर से देखना है”

 

 

 

 

हवलदार गायब सिंह,” ठीक है, आ जाइए अंदर, मेरे बूढ़े पिताजी लेटे हुए हैं ,और हम दोनों  के सिवा, यहां कोई नहीं रहता,”

 

 

 

 

सैनिक ,”अच्छा तो फिर आगे से हटाओ” और आगे बढ़ कर झोपड़ी के अंदर प्रवेश कर जाता है,

 

 

 

एक तरफ घास फूस के ,बिछावन पर ,तांत्रिक चित्र देवा आराम से लेटा हुआ था ,और सिपाही को अंदर आया देख कर ,”आप कौन हैं, मुझे दिखाई नहीं देता,  मैंने आपको पहचाना नहीं,”

 

 

 

सैनिक ,”मैं राजा का सैनिक हूं ,और हम एक हत्यारे को तलाश रहे हैं, जिसने गांव में एक औरत को जहर देकर मार डाला है,”

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा,” राज सैनिक हो, फिर आप यहां गलत आ गए हैं, यहां तो मेरे और मेरे पुत्र के अलावा, कोई नहीं रहता ,और हम गरीब लोगों के पास ,कुछ भी नहीं है, तो मेरे इस बेटे को भी ,राज सेवा में शामिल कर लो,”

 

 

 

सैनिक,” यह काम मेरा नहीं है, यह काम सेनापति का है, वैसे तुम्हारा यह बेटा शरीर से तो काफी तगड़ा मालूम पड़ रहा है ,इसे शायद हमारे सेनापति सेना में ले ही ले, एक बार जाकर सेनापति से बात कर लेना,”

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा,” आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सैनिक, मैं कल ही अपने बेटे को ,लेकर सेनापति के पास जाऊंगा,”

 

 

 

सैनिक ,उन दोनों को ध्यान से देखता है, और फिर झोपड़ी से बाहर निकल जाता है,

 

 

 

सैनिक ,”चलो यहां कुछ नहीं है “,और घोड़ों पर बैठकर वहां से निकल जाते हैं,

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा ,”अब आराम से सो जाओ” और अगले ही पल ,फिर से झोपड़ी में सभी, आराम की वस्तुओं प्रकट हो गई थी,

 

 

 

दूसरी तरफ,

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा ,द्वारा भेजी गई काली शक्तियां, बेहद तेज रफ्तार से घूमती हुई ,महल के ऊपर आ गई थी,

 

 

 

“हमें यही से राजकुमारी शिल्पा की, चोटी काट कर ले जानी है”

 

 

 

और अभी ,यह काली शक्तियां ,अपना कार्य शुरू करती की, महल के पीछे की तरफ अतिथि भवन में,

 

 

 

 

सुरा ,”गुरुदेव रात हो गई है, यही मौका है ,आप अपनी तंत्र शक्ति के प्रभाव को, उपवन से खत्म कर दीजिए, ताकि फूल दोबारा से खिल जाए,”

 

 

 

 

तांत्रिक नूरा ,”ठीक है,”, और फिर अतिथि भवन से बाहर आता है ,और आसपास खड़े राजा के सैनिकों को देखता है, “इनके सामने में अपनी तंत्र विद्या का प्रयोग नहीं कर सकता ,मुझे थोड़ा एकांत की जरूरत होगी,”

 

 

 

 

 

तांत्रिक नूरा, कोई एकांत जगह ढूंढता ,उससे पहले उसकी नजर महल के ऊपर उड़ती ,काली शक्तियों पर पड़ गई थी, और उन काली शक्तियों को देखकर, वह  तो एकदम से हैरान हो गया था,

 

 

 

तांत्रिक नूरा,” सैनिकों उधर देखो ,महल के ऊपर कोई काली तंत्र शक्ति ,हमला कर रही है, जल्दी से जाकर, महाराज को इसकी जानकारी दो,”

 

 

 

सैनिकों, की नजर भी, महल के ऊपर मंडराते उस काले बादल पर पड़ गई थी ,और वह समझ गए थे ,महल पर कोई आफत आने वाली हैं,और हुए तेजी से भागकर महल के सैनिकों को, इस बारे में इतला देने चले गए थे,

 

 

 

 

,अपने गुरु की तेज आवाज सुनकर ,सुरा भी बाहर निकल आया था, और वह भी महल के ऊपर मंडराते उस बादल को देखकर, समझ गया था कि ,कोई बड़ी काली शक्तियां महल के ऊपर घूम रही हैं,

 

 

सुरा,” गुरुदेव मुझे लगता है ,यह सब उन्हीं  दो तांत्रिक लड़कों का किया धरा है ,आपको भी इन काली शक्तियों को ,यहां से भगाना होगा, वरना कहीं यह राजकुमारी को ही नुकसान ना पहुंचा दें,”

 

 

 

तांत्रिक नूरा ,”ठीक है” ,और फिर वह अपने दोनों हाथ फैला कर ,मंत्रों का उच्चारण शुरू कर देता है ,उसकी आंखें किसी शैतान की भांति चमकने लगी थी, उसके दोनों हाथ बहुत बुरी तरह से कांपने लगे थे ,जिनसे धीरे-धीरे दो बड़े सांप निकल कर, महल के ऊपर मंडराते बादल की तरफ झपट पड़े थे,

 

 

 

 

तांत्रिक चित्र देवा ,की काली शक्तियां, हमला करने के लिए जैसे ही आगे बढ़ी थी, उन दोनों सांपों ने ,उनके नीचे एक घेरा बना दिया था ,और काली शक्तियों उस से टकराते ही ,एकदम से पीछे हट गई थी, और आकाश में जैसे दो नेगेटिव और पॉजिटिव बादलों के टकराने से तेज बिजली कड़कती है, ऐसी ही पिछली महल की छत के ऊपर भी कड़क गई थी, और उसकी गर्जन से आसपास का सारा इलाका गूंज गया था,

 

 

 

राजकुमारी ,जो अपने कक्ष में आराम कर रही थी, इस गर्जना को सुनकर ,डर कर अपने कक्ष में, खड़ी सखियों के गले लग गई थी ,और खिड़की से, आकाश में घूमते काले बादल को देखने लगी थी,

 

 

क्रमशः

 

 

 

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